दिल की बातें

दिल की बातें


गिला नही कोई किसीसे
ना ही कोई शिकवा है
बस अब मन भर सा गया है
और दिल बहोत भारी भारी है|

दोस्ती निभाने मे हम माहिर थे
आज भी है और रहेंगे कल भी
मगर मायने ही दोस्ती के
बदले है कुछ इस कदर
की दोस्त किसे कहे
और किसे ना कहे
यहा तक की दोस्ती भी
करे या ना करे
कुछ ऐसा संभ्रम है इस दिल मे|

दोस्ती की तो छोडो बात
प्यार की कुछ अलग नही दास्तान
नाप तोलके जताया जाता है
स्वार्थ दिखे तो मुस्कान भर छा जाता है
और कुछ काम के ना बचे तुम
तो एक नजर भर के मोहताज बन जाओ
अब तो वो एहसास भी
न देखने को मिले तो
प्यार इस दुनिया से चला तो नही जायेगा
कुछ ऐसा संभ्रम है इस दिल मे|

दोस्ती प्यार अब बडी बडी बाते लगती है
उससे भी जी उब जाये मगर ये क्या
इंसानियत कीं भी बहोत कमी नजर आती है
कुछ दो बाते अच्छी बताने जाओ तो
आप सबसे पहले भीड से बाहर
कुछ इस कदर पेश आते है अपने भी
की कितनी बडी भूल कर बैठे हो तुम
अब तो इंसान भी क्या जानवर से बढकर रहेंगे
कुछ ऐसा संभ्रम है इस दिल मे|

बातो बातो मे बात बिगड जाती है
दोस्तो की याद तो मगर दिल मे रहती ही है
प्यार की वो दास्ताने रह रहके याद तो आती है
क्या फिर से वो सुनहरे दिन लौट आयेंगे
ये पूछता रहता दिल अपने ही आप से
उत्तर न मिलता मन सा तो बेचैनी बढती है
पर क्या करे दिल की भी ये  मजबुरी है
वो जानता है अब पहले जैसा कुछ नही
पर डरता है कहने से मायूस ना हो जाउ कही

कुछ ऐसे संभ्रम दिल मे लिये देखती हूँ
उस मंद मंद मुस्काते मासूम की ओर
जिसकी हंसी पर न्योछावर हो चांद सितारे
इस जहान की नही उसकी आंखों की चमक
वो तो देखता है बस प्यार से ओतप्रोत
तब भूल जाती हूँ सारे गम सुख और संभ्रम
बस दिखता है कल का आश्वासक सवेरा
भरा हुआ मन खाली करना जरूरी है|
भारी भारी दिल को हसाना जरूरी है|

शुभदा
३१/१२/२०१७

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